Tuesday, August 11, 2015

Flag Code of India & Rights of Citizens...

जानिए क्या है नैशनल फ्लैग एक्ट 1971 ! भारतीय तिरंगे के कानून और रखरखाव !


आज़ादी से ठीक पहले 22 जुलाई, 1947 को तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। तिरंगे के निर्माण, उसके आकार और रंग आदि तय हैं।

फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के तहत झंडे को कभी भी ज़मीन पर नहीं रखा जाएगा। उसे कभी पानी में नहीं डुबोया जाएगा और किसी भी तरह नुक़सान नहीं पहुँचाया जाएगा। यह नियम भारतीय संविधान के लिए भी लागू होता है।

क़ानूनी जानकार डी. बी. गोस्वामी ने बताया कि प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नैशनल ऑनर ऐक्ट-1971 की धारा-2 के मुताबिक, फ्लैग और संविधान की इन्सल्ट करने वालों के ख़िलाफ़ सख्त क़ानून हैं।
अगर कोई शख़्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसे कपड़ा बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद हुए आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अलावा) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे की इन्सल्ट माना जाएगा। तिरंगे की यूनिफॉर्म बनाकर पहन लेना भी ग़लत है। अगर कोई शख़्स कमर के नीचे तिरंगा बनाकर कोई कपड़ा पहनता हो तो यह भी तिरंगे का अपमान है। तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

तिरंगे को फहराने के नियम


फ्लैग कोड में आम नागरिकों को सिर्फ़ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की छूट थी लेकिन 26 जनवरी 2002 को सरकार ने इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया और कहा कि कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडा फहरा सकता है, लेकिन वह फ्लैग कोड का पालन करेगा।
2001 में इंडस्ट्रियलिस्ट नवीन जिंदल ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि नागरिकों को आम दिनों में भी झंडा फहराने का अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट ने नवीन के पक्ष में ऑर्डर दिया और सरकार से कहा कि वह इस मामले को देखे। केंद्र सरकार ने 26 जनवरी 2002 को झंडा फहराने के नियमों में बदलाव किया और इस तरह हर नागरिक को किसी भी दिन झंडा फहराने की इजाजत मिल गई।