मेरी
यह पोस्ट सम्पूर्ण तौर पर मेरे खुद के विचार है। और इसके लिए कोई भी आधार कही से
लिया नहीं गया है। जो राजनैतिक घटनाए इन दिनों घट रही है उसके ही आधार पर यह लिख
रहा हु।
नरेन्द्र
मोदी जब अक्टूबर २००१ में गुजरात की बागडोर बतौर मुख्यमंत्री संभाली, तब
शायद ही गुजरात की जनता उनको जानती थी। हांलाकि मोदी १९९५ से १९९८ के चुनाव में
गुजरात में भाजपा की रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभा चुके थे। मोदी को गुजरात
में भेजा गया तब भाजपा के पास कोई खास विज़न नहीं था। उस समय मोदी एक पूरा
विज़न लेके गुजरात आये थे। वो विज़न था गुजरात से कांग्रेस का सफाया। 2002 में हुए चुनावो के समय से ही मोदी एक सोची समजी रणनीति के
अंतर्गत चले।
२०११
में उनकी रणनीति को उन्होंने उजागर किया, जब महानगर पालिकाओ के चुनाव में भाजपा को
"न भूतो न भविष्यति" विजय मिला। मोदी ने भाजपा कार्यालय के बहार विशाल
जनमेदनी को संबोधित करते हुए कहा था की, " मैं भारत में से वोटबेंक की
राजनिति को ख़त्म कर दूंगा। " मोदी ने २०११ में ही सद्भावना मिशन को अंजाम
देकर इस बात का आगाज़ कर दिया था। और इस बात का अंजाम मोदी ने २०१२ के विधानसभा चुनावो में अपने कथन को सत्य भी
साबित कर दिया। उन्होंने कोई धर्मविशेष की बात न करते हुए विकास के मुद्दे पर
गुजरात का चुनाव प्रचार किया और शानदार जीत भी हासिल की।
२०१४
में हुए लोकसभा चुनाव के समय भी किसी धर्म आधारित राजनीति को बाजु में करते हुए
उन्होंने विकास मॉडल पर प्रचार किया। उन्होंने पुरे देश में एक लहर पैदा कर
दी। और नतीजा आप सब के सामने है।
अब
बात करे यहाँ की हर बार कांग्रेस मोदी के व्यूह में फंस जाती है।
२००७
के चुनाव में कांग्रेस ने "गोधराकांड" को मुद्दा बनाया। वही मोदी ने कही
भी इस बात का कोई उल्लेख तक नहीं किया था। वही सोनिया गांधी ने मोदी को " मौत
का सौदागर " कह कर पुकारा। जिसपर गुजरात की जनता ने अपना रिकॉर्डतोड़ वोट देकर
मोदी को विजेता बनाकर दिया।
महाराष्ट्र
में भाजपा ने शिवसेना से युति तोड़ी। इस पर मिडिया में बहोत बवाल हुआ। लेकिन किसी
का ध्यान इस तरफ नहीं गया की यह एक रणनीति भी हो सकती है। मुझे पूरा भरोसा है की
यह मोदी की एक रणनीति ही थी। जिस तरह से गठबंधन तोडा गया और पुरे महाराष्ट्र में
जिस तरह से प्रचार हुआ, उस पर से साफ़ हो गया था की यह एक सोची समजी साजिश थी।
विरोधियो को मुह तोड़ जवाब देनेवाले मोदी ने शिवसेना के खिलाफ न बोलने का फैसला भी
इसी वजह से लिया था। जब की उद्धव और राज ठाकरे के लिए मोदी पर प्रहार करना बेहद
जरुरी था। वर्ना तो उनकी गाड़ी चालू ही नहीं होनी थी। इन सब बातो का असर यह हुआ की अब
भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनके उभरी है, वही हरियाणा में भाजपा को
पूर्ण बहुमत मिल गया है।
अभिनंदन
मोदी जी।
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