भारत ने IS से सम्बंधित किसी भी ओर्गोनाइज़ेशन को पेट्रोलियम उत्पाद की खरीदी के लिए ब्लेक लिस्टेड कर दिया|
पिछले एक साल से देखी गई है पेट्रोलियम उत्पादों के दामो में चढ़ उतर
हालंकि यह एक बहोत जरुरी कदम था जो की देरी से उठाया गया, लेकिन फिर भी इंधन की सबसे ज्यादा खपत जिन देशो में है उन देशो में से भारत एक देश है| और ऐसा तगड़ा ग्राहक खोना किसी भी ओर्गोनाइज़ेशन के लिए नुक्सान दायक सिध्ध होगा, लेकिन साथ ही साथ भारतीय नागरिको के लिए भी यह कोई उत्साहित करने वाला माहोल नहीं बनाने वाला| क्युकी इस कदम से पेट्रोल के और डीज़ल के दाम बढ़ेंगे ही बढ़ेंगे| आइए जानते है कैसे?
पुरे विश्वमे पिछले थोड़े समय से पेट्रोलियम उत्पादों के दामो में काफी चढ़ उतर देखने को मिल रही है| जिसके पीछे के कारणों को जानना जितना जरुरी है उतना ही रसप्रद भी| इन कारणों के पीछे जिम्मेदार है, आतंकवाद और राजकरण| भले ही सामान्य जनताको इस कारणों से कोई लेना देना नहीं है| उनको तो पेट्रोल और डीज़ल के दामो से मतलब होता है, लेकिन सही मायनो मे विश्व अभी बहोत ही जटिल समय से गुजर रहा है| क्युकी पूरी दुनिया को ७५% पेट्रोलियम की सप्लाय करने वाले देश जैसे की सीरिया, इराक पर अभी आतंकवादियो का कब्ज़ा है, और यह पेट्रोलियम ही उन्हें ताकत वर बनाये हुआ है|
अब इनकी ताकत को तोडने का किसी के भी पास कोई रास्ता नहीं था, क्यों की हर किसी को तेल की जरुरत तो है ही| इस लिये अमेरिका और सहयोगी देशो ने तेल खरीदी को लेकर कुछ मानक तैयार कर दिए| OPAC के महतम उत्पाद और बिक्री के नियमो को तोड़ कर खुद को बहोत ही मजबूत कर लेने वाले आईएसआएस के लिए यह बहोत ही बड़ा जटका है| इस नियमन और अमेरिका और सऊदी अरब के बिच हुए एक गुप्त करार के मुताबिक पेट्रोलियम के दाम को वैश्विक मंदी की तरफ गिरा दिया गया| जिससे ख़ुफ़िया तरीके से आइएसआएस तेल की बिक्री करने वाले देश वैश्विक बाजार से पेट्रोलियम की खरीदी करना शरु कर देंगे| जिससे आइएसआइएस की बढती साख को रोका जा सके|
अब बात करते है भारत के इस कदम की| भारत ने जो कदम उठाया है उससे फ़िलहाल कुछ समय तक भारतमें पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढे रहेंगे| लेकिन कुछ समय के बाद यह फिर से निचे आयेंगे अगर सरकार चाहे तो| मोदी की सरकार सही समय पर यह फैसला लिया है|
पिछले एक साल से देखी गई है पेट्रोलियम उत्पादों के दामो में चढ़ उतर
हालंकि यह एक बहोत जरुरी कदम था जो की देरी से उठाया गया, लेकिन फिर भी इंधन की सबसे ज्यादा खपत जिन देशो में है उन देशो में से भारत एक देश है| और ऐसा तगड़ा ग्राहक खोना किसी भी ओर्गोनाइज़ेशन के लिए नुक्सान दायक सिध्ध होगा, लेकिन साथ ही साथ भारतीय नागरिको के लिए भी यह कोई उत्साहित करने वाला माहोल नहीं बनाने वाला| क्युकी इस कदम से पेट्रोल के और डीज़ल के दाम बढ़ेंगे ही बढ़ेंगे| आइए जानते है कैसे?
पुरे विश्वमे पिछले थोड़े समय से पेट्रोलियम उत्पादों के दामो में काफी चढ़ उतर देखने को मिल रही है| जिसके पीछे के कारणों को जानना जितना जरुरी है उतना ही रसप्रद भी| इन कारणों के पीछे जिम्मेदार है, आतंकवाद और राजकरण| भले ही सामान्य जनताको इस कारणों से कोई लेना देना नहीं है| उनको तो पेट्रोल और डीज़ल के दामो से मतलब होता है, लेकिन सही मायनो मे विश्व अभी बहोत ही जटिल समय से गुजर रहा है| क्युकी पूरी दुनिया को ७५% पेट्रोलियम की सप्लाय करने वाले देश जैसे की सीरिया, इराक पर अभी आतंकवादियो का कब्ज़ा है, और यह पेट्रोलियम ही उन्हें ताकत वर बनाये हुआ है|
अब इनकी ताकत को तोडने का किसी के भी पास कोई रास्ता नहीं था, क्यों की हर किसी को तेल की जरुरत तो है ही| इस लिये अमेरिका और सहयोगी देशो ने तेल खरीदी को लेकर कुछ मानक तैयार कर दिए| OPAC के महतम उत्पाद और बिक्री के नियमो को तोड़ कर खुद को बहोत ही मजबूत कर लेने वाले आईएसआएस के लिए यह बहोत ही बड़ा जटका है| इस नियमन और अमेरिका और सऊदी अरब के बिच हुए एक गुप्त करार के मुताबिक पेट्रोलियम के दाम को वैश्विक मंदी की तरफ गिरा दिया गया| जिससे ख़ुफ़िया तरीके से आइएसआएस तेल की बिक्री करने वाले देश वैश्विक बाजार से पेट्रोलियम की खरीदी करना शरु कर देंगे| जिससे आइएसआइएस की बढती साख को रोका जा सके|
अब बात करते है भारत के इस कदम की| भारत ने जो कदम उठाया है उससे फ़िलहाल कुछ समय तक भारतमें पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढे रहेंगे| लेकिन कुछ समय के बाद यह फिर से निचे आयेंगे अगर सरकार चाहे तो| मोदी की सरकार सही समय पर यह फैसला लिया है|