Monday, November 10, 2014

जाग हिन्दू जाग एक आग है तू

जाग हिन्दू जाग एक आग है तू,
न टूटे जो कभी वो फौलाद है तू.

याद कर तेरी धरोहर थी वो कितनी मनोहर.
प्राचीन तेरा इतिहास फिर क्यों सहे उपहास तू ,
कर के रक्त तिलक, उठा हथियार करके पुकार,
जान ले तू खुद को, तू है हिन्दू आग है तू.

जाग हिन्दू जाग एक आग है तू,
न टूटे जो कभी वो फौलाद है तू.

है महान तेरी सभ्यता, फिर क्यों तू पिछड गया,
वसुदैव कुटुम्बकम कहा कृष्ण ने ,
न जाने  फिर क्यों जातिवाद में बट गया?
था कल जो तेरा भाई था वो आज कैसे अछूत बन गया?

जाग हिन्दू जाग एक आग है तू,
न टूटे जो कभी वो फौलाद है तू.

स्त्री को देवी कहनेवाला, क्यों बेटी का खुन करने लगा,
स्त्री को माँ कहनेवाला, क्यों पैरो की जुती समजने लगा,
कहा गई तेरी पवित्रता, कहा गई नितिमत्ता,
स्त्री सन्मान का द्योतक था, क्यों परम्परा भूलने लगा?

जाग हिन्दू जाग एक आग है तू,
न टूटे जो कभी वो फौलाद है तू.

प्रतिक काशीकर.

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