Monday, September 22, 2014

चीन सुपर पावर क्यों है ये हम क्यों नहीं सोचते???

हम हर बात में कहते है की मेरा भारत महान। हम विश्वगुरु थे, हम फिर से विश्वगुरु बनेंगे। फला ढिका--- हम ऐसे निवेदन आए दिन सुना करते है और अब हाल यह है की हम इन बातो को एक कान से सुनकर दुसरे कान से निकल देते है। ऐसे ही हमारा देश बद हुआ, बद से बदतर हुआ।  लेकिन हम फिर भी कुछ नहीं बोलते, और कुछ हो नहीं पता।

हम हमेशा चीन से आगे निकलने की बात करते है, पर क्या हम मे से किसीने भी कभी यह सोचा है की चीन सुपर पावर क्यों है? शायद नहीं! यह सवाल पढने के बाद भी आप यही सोच रहे होंगे की भाई हम ऐसा क्यों सोचे? कुछ ऐसा ही हाल २००३ में चाइना का भी था।  चाइना का एज्युकेशन लेवल इतना निचे गिर गया था की वहा के प्राइमरी के स्टूडेंट सामान्य गणित की जोड़बाकी भी नहीं कर पा रहे थे और न ही अपनी भाषा पढ़ पाने के काबिल थे।  उस दौरान चीन के शिक्षण मंत्रालय ने प्राइमरी एज्युकेशन सिस्टम में सुधार करने के लिए कुछ १० मुद्दो का एक प्रोग्राम बना डाला और रातोरात इस प्रोग्राम को पुरे देश में अमल में करने के आदेश भी दे दिए गए। इस सुधार के अनुसार प्राथमिक शिक्षण में पहली से छठी कक्षा तक HOMEWORK नहीं दिया जाना था। लेकिन सभी स्कूलों को पेरेंट्स के सहयोग से विभ्भिन म्यूज़ियम, लाइब्रेरीज़ फैक्ट्री जैसी पब्लिक प्लेसेस की मुलाकात करनी थी, और बाद में स्टूडेंट्स को वहा पर जो चीजे देखी और जानी उसको अपने अनुभव से  स्कुल में शिक्षक के सामने लिखना या पढ़ना रहता है। वो भी स्टूडेंट की अपनी भाषा में। 

शिक्षण के दूसरे सुधार में प्राथमिक शिक्षा की परीक्षा पध्धति को ही जड़ से  बदल दिया गया। उन्होंने स्कूल्स में ली जाने वाली पाक्षिक या मासिक परीक्षाओ की संख्या में कटौती करने को कहा। तीसरे मुद्दे में १०० मार्क की मार्किंग सिस्टम के बदले परिणाम चार ग्रेड excellent, good, qualify और will be qualify देने को कहा गया।  जिसका कारण यह है की विद्यार्थी परिणाम से हतोत्साह होकर कही पढाई न छोड़ दे।  भारत में ऐसा किया होता तो सब से पहले यही कहा जाता की शिक्षको का काम कम करने के लिए ऐसा किया गया। :(
इसका सीधा सीधा परिणाम यह आया की जहा २००३ में बच्चे ठीक से पढ़ लिख नहीं पाते थे वहा आज बच्चो में किताबे पढ़ने की रूचि बढ़ती नजर आने लगी है। एक और बदलाव यह किया गया की रोजाना स्कुल में एक घंटा खेलने का और एक घंटा क्राफ्टिंग का दिया जाये।  इससे यह हुआ की प्रायमरी स्कुल से ही बच्चो में इनोवेशन और क्रिएटिविटी बढ़ने लगी। और स्कूलो को विध्यार्थीओ की न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक विकास की रिपोर्ट भी सरकार को करनी थी और अधिकारी कभी भी किसी भी स्कूल का सरप्राइज चेकिंग करते है। आखिरकार यह बच्चे ही तो भविष्य मे देश को संभालने और सवारने वाले है। एक और बात को चीन में कानून का रूप देकर लागु किया गया, वो थी ट्यूशन क्लास पर रोक और सख्त सजा। उस कानून में न सिर्फ ट्यूशन क्लास चलाने वालो को पर ट्यूशन क्लास में बच्चो को भेजने वाले पेरेंट्स पर भी क़ानूनी कार्यवाही और सजा हो ऐसा प्रावधान किया गया है। इस कानून की वजह से विद्यार्थियो के अभिभावको ने अपने बच्चो को ट्यूशन क्लास में भेजना बंध किया जिससे ट्यूशन क्लास अपने आप ही बंध हो गए।

चीन की स्कुल के बच्चे टेबलेट पर शिक्षण लेते हुए।  हमारी सरकार सिर्फ भार रहित शिक्षण की बाते करती है। 
गौर तलब बात यह है की यह FIRST CLASS EDUCATION के नाम से चालू हुए इस कार्यक्रम ने चीन के २१वी  सदी के सुपर पावर बनने के सपने को सच करने के रस्ते को खोल दिया।  चीन ने समय समय पर प्रायमरी शिक्षण और कोलोजो पर ऐसे सफल प्रयोग किये। जिसका परिणाम यह हुआ की आज चीन न केवल औद्योगिक, आर्थिक, सामरिक पर शैक्षणिक क्षेत्र में भी सुपर पावर बन के उभरा है। 

इन सब के पीछे एक सबसे महत्व पूर्ण बात यह है की यह सुधारना कार्यक्रम सरकारी कागजातों में न रह कर देश के हर हिस्सों में पहुंचाया गया। जबकि आज तक भारत में बहुत सारे सुधार के कार्यक्रम तो बने लेकिन वो सरकारी फाइलों में दबे रह गए या तो अधिकारिओ के घर भरने के काम में आ गए। भारत में आज एज्युकेशन का सालाना  बिज़नेस कम से कम 1 लाख करोड़ का हैं। आप सोच सकते है की हमारी एक चुप्पी हमें कितनी भारी पड़ती है।  और हम अन्य देशो के मुकाबले कितने पीछे छूट चुके है।

चीन का परिणाम :

इस कार्यक्रम का परिणाम चीन को २००९ में मिला।  PISA/ PROGRAMME FOR INTERNATIONAL STUDENT ASSESSMENT जो की १५ साल की आयु के बच्चो की गणित, विज्ञानं और रिडिंग की परीक्षा लेता है उसमे चीन ने प्रथम स्थान हासिल किया। इस कसौटी में ७४ देशो ने भाग लिया था जिसमे से एक हमारा महान देश भारत भी था।  जहा चीन प्रथम स्थान पर था वही भारत ७३वे स्थान पर था।

हम सपने देखते है, लेकिन उन सपनो को कैसे सच करना यह कोई नहीं सोचता।  हम हमेशा दुसरो के जैसा या उससे बेहतर बनने की सोचते है लेकिन वो वह तक कैसे पंहुचा ये हम कभी नहीं देखते।

।।। जागो हिन्दुस्तानीओ जागो।।। 

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