जापान ने भारत के लिए ७० साल पुरानी परंपरा तोड़ी। |
सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिंजो एबे के बीच तोक्यो में हुई शिखर वार्ता में एयरक्राफ्ट टेक्नोलॉजी के क्षेत्रमे भारत को मदद करने के मुद्दे पर चर्चा हुई। जिसके चलते जापान के प्रधानमंत्रीने भारत को समुद्र में उतरने की क्षमता रखने वाले एम्फीबियस एयरक्राफ्ट यूएस-२ की डील लिए हामी भर दी। शिखर वार्ता के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया कि भारत के साथ जापानी एयरक्राफ्ट और जापानी तकनीक साझा करने के तहत यूएस-2 एम्फीबियस एयरक्राफ्ट की डील साइन की गई है। इसके जरिए भारतीय एयरक्राफ्ट उद्योग के विकास के लिए एक रोड मैप तैयार किया जा सकेगा। मोदी सरकार की नीतियों को ध्यान में रखते हुए ये प्लेन भारत में तैयार किए जाएंगे।
यह डील इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस डील के साथ ही भारतीय नौसेना की क्षमता में और इजाफा हो गया। भारतीय नौ सेना के लिए यूएस-2 सबसे मजबूत विमानों में से एक है। 30-38 किलोमीटर प्रति घंटे की विंड स्पीड पर इसे समुद्र के साथ-साथ नदियों और झीलों पर भी ऑपरेट किया जा सकता है। 30 लोगों और 18 टन भार के साथ यह एक बार में 4,500 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है। जिससे अरुणाचल और बंगाल की खाई में बढ़ती जा रही गतिविधियों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
गौर तलब है की जापान ने 7 दशक पहले द्वितीय विश्वयुद्ध में अपनी हार के बाद जापान ने हथियार और सैन्य उपकरण बेचने पर पाबंदी लगा दी थी। इसलिए यह डील भारत और जापान के रिश्तों की मजबूती का भी संकेत है। दोनों ही देश हर तरह से और खास तौर से रक्षा और व्यापार के क्षेत्र में एक-दूसरे को पूरा सहयोग कर रहे हैं ताकि चीन की विस्तारवादी नीति और उसके दिन-प्रतिदिन बढ़ते आक्रामक रवैये को चुनौती दी जा सकेगी।
अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धो में क्या महत्व है इस डील का?
इस डील के साथ ही अंतरराष्ट्रीय संबंधो और नीतियों का एक नया दौर चालू हुआ है। चीन के विरुद्ध भारत का पक्ष अब और मजबूत बन जायेगा। भारत और चीन के बीच सीमाओ को लेकर तंगदिली चल रही है। वैसे ही जापान और चीन की भी एक टापू सेनकाकू को लेकर विवाद चल रहा है। इस विवाद के चलते अमेरिका ने इस विवाद में जापान का साथ देने का वादा किया है। अब भारत और जापान के बीच इस डील की वजह से भारत और जापान संबंध तो मजबूत हुए ही है साथ साथ अमेरिका के साथ भी संबंध और मजबूत होंगे।
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