Thursday, September 25, 2014

"MAKE IN INDIA" THE LIONS STEP...

MAKE IN INDIA के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री और शेर। 


आज भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिर से एक बार हिंदुस्तान को सोने की चिड़िया बनाने की तरफ एक कदम उठाया है। जिसे की उन्होंने शेर का कदम बताया है, जिसका मतलब होता है की एक बार आगे बढे तो पीछे मुड़ने का सवाल ही नहीं। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने २५ सितम्बर को एक मिशन एक स्वप्न का विमोचन किया जिसे उन्होंने Make in India का नाम दिया है। इस सपने के तहत भारत को मेंयुफक्चर हब बनाने की बात रखी गई है। इस समारोह लिए मोदी ने ३० देशो की ३००० कंपनियों को कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था। इस कार्यक्रम में जहा भारत के बड़े उद्योगपति हाजिर थे वही कई विदेशी कंपनियो के सीईओ भी हाजिर थे। जिन्होंने भारत में व्यापर को लेकर काफी उत्साह दिखाया.

नरेन्द्र मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा की, भारत को सोने की चिड़िया माना जाता था। लेकिन जब दुनिया में औद्योगिक क्रांति हो रही थी और दुसरे देश इस क्रांति में विकास के कदम बढ़ा रहे थे तब भारत इसमें पिछड़ गया था। क्योंकी भारत उस वक्त गुलाम देश था। आज फिर से एक बार विश्व में औद्योगिक चेतना का संचार हुआ है और इस बार पुरे विश्व ने एशिया की और अपनी निगाहे की है। हमें उनका ध्यान भारत की और आकर्षित करना है। और भारत को फिर से एक बार उत्पादन का बादशाह बनाना है.

दुनिया कल के मंगलयान प्रोजेक्ट की सफलता के चलते भारत की प्रतिभा का लोहा फिर से एक बार मान चूका है। यह वही भारत है जिसने विश्व को शून्य दिया। यह वही भारत है जिसने विश्व को कपडा पहनना सिखाया। मुझे नहीं लगता अब कोई मेरे देशवासियो को भूखा-नंगा कहने की हिम्मत कर पाएगा। 


इसी मौके पर में इतिहास का कुछ हवाला देना चाहता हु। कृपया ध्यान से पढ़े। हमने आज तक बहोत बार सुना होगा की हमारा देश सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। कुछ सारांश विदेशी इतिहासकारो के भारत के बारे में लिखे गए साहित्यों और प्रवचनों से.

१.एक अंग्रेज थॉमस बेब मैकाले(टी.बी. मैकाले) जिसका की पुरे विश्व में इतिहासकार के तौर पर बहोत मान सन्मान है, वे भारत में आये और करीब १७ साल भारत में रहे। उन्होंने पुरे भारत में भ्रमण किया और वापस गए। उसके बाद इंग्लेण्ड की संसद में २ फरवरी १८३५ को इसने भारत के बारे में कहा की “ मैं भारत के उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम मतलब हर जगह गया हु, पर मैंने वह ना तो कोई चोर देखा ना ही कोई भिखारी। भारत में इतना धन इतनी समृध्धि है कि इन्हें गुलाम बनाना मुश्किल है, मैं जिस किसी के घर में गया वहां सोने-चांदी के सिक्को का ढेर ऐसे लगा रहता है, जैसे गेहूँ चने का ढेर लगता हो। जिसे वो कभी गिन नहीं पाते क्योंकि उस सोने चांदी को गिनने की उनके पास फुर्सत ही नहीं थी। इसलिए वो उन्हें किलो में तोल कर रखते थे। हर घरमे औसतन १०० किलो जितना सोना था।”


, दुसरे अंग्रेज इतिहासकार थे विलियम डिग्बी। जिनका न सिर्फ अंग्रेज पुरा यूरोप और अमेरिका भी इनका सम्मान करता है क्योंकि ये अपनी बात बिना सबूत के कभी नहीं कहते। इन्होने भारत के बारे में एक किताब लिखी है। उसमें कहा है की अंग्रेजों के पहले का भारत सर्वश्रेष्ठ कृषि प्रधान देश ही नहीं सबसे बडा औधोगिक और व्यापारिक देश था। १७ वीं शताब्दी की बात है यह भारत की भूमि इतनी उपजाऊ है जितनी किसी भी देश की नहीं है। भारत के व्यापारी सर्वश्रष्ठ है और भारत कपडा ही नहीं हर उत्पाद विश्व में सबसे अच्छा है। जब भारत के व्यापारी सारे उत्पाद विदेशों में बेचते हैं तो बदले में सोने-चाँदी की माँग करते थे जिसका यह मतलब होता है की भारत के व्यापारी जो भी बेचते बदले में सोना लेते थे। क्यों कि भारतीय वस्तुएं सबसे उत्तम है और इन्हे बनाने का हुनर सिर्फ और सिर्फ भारतीय ही जानते है। जब ये वस्तुएं बाजारो में बिकती है तो सोना और चादी ऐसे प्रवाहित होता है जैसे नदियो में पानी और जैसे नदी महासागर मे समा जाती है उसी तरह ये सोना चादी भारत में समा जाता है। ये सोना भारत में आता तो है पर एक ग्राम भी बाहर नहीं जाता। क्यों कि भारतीय हर वस्तु का उत्पादन कर लेते है, कुछ खरीदने की जरुरत ही नहीं है।" 

३. तीसरे इतिहासकार है फ्रांसीसी फ्रांसवा पिरार्ड। १७११ में भारत के बारे में किताब लिखी। उसमें से कुछ "मेरे अनुसार भारत में ३६ तरह के ऐसे उद्योग चलते हैं जिन्में उत्पादित हर वास्तु विदेशॉ मे जाती है। भारत के सभी उत्पाद सर्वश्रेष्ठ, कलापूर्ण और कीमत में सबसे सस्ते हैं और मुझे जो प्रमाण मिले हैं उनसे पता चलता है कि भारत का निर्यात पिछले ३००० सालों से निर्बाधित रूप से चल रहा है अगर गणना करें तो महात्मा बुद्ध से ६५० साल पहले से व्यापार चल रहा है। "

४. एक और इतिहासकार स्कार्टिस मार्टिन लिखते है कि, जिस समय ब्रिटेन के निवासी बर्बर जंगली जानवरो की तरह जीवन बिताते थे, तब भारत में दुनिया का सबसे बेहतरीन कपडा बनता था और सारी दुनिया में बिकता था। और मुझे यह स्वीकार करने में बिल्कुल शर्म नहीं आती की भारतवासियों ने सारी दुनिया को कपडा बनाना और पहनना सिखाया है रोमन साम्राज्य में जितने भी राजा-रानी हुए वो सब भारत से ही कापडा मंगाते रहें है।"

वैसे देखा जाये तो इससे ही पता चलता है कि भारत कितना संपन्न था और सोने की चिडिया क्यों कहलाता था। 

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